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Varsha Gujrati
Joined on 10 November 2022
भावनाओं के सागर में ,
अनगिनत विचार करवटें लेते ...
तब जन्म होता ....
एक सार्थक लेखन का ...
कविता के सार का ...
छंद ... अलंकार ...
रस ... के ऋंगार का ...
तप में विलीन ...
ज्ञान के गर्भ से संचय ,
विचारों के धूप सिंचता हुआ ....
जीवन का पूर्ण सार को ,
समर्पित करती हुई .....
😊😊
जीवन के हर पहर को भावों से सींचती हूँ ....
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