...

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पुरुष ऐसा ही होता है ......
#InternationalMensDay

खुद के विचार से क्षीण होता हुआ ,
पृष्ठ-पृष्ठ नया साहस मैं रचता हुआ ....
अपने बनाए चक्रव्यूह फंसता हुआ ,
पाषण रूपी .. कहलाया जाता हुआ ....

मेरे सपनों का कोई .. अवशेष नहीं ,
उम्मीद के अवासन का अधिकार नही ...
जिम्मेदारी की आंच पर...