...

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प्रेमग्रंथ .....
चलो मिलकर ,
प्रेम ग्रन्थ लिखते है ....
एक-दूसरे की ,
सांसो का छंद लिखते है ....
इन अलंकार को !
ह्रदय पटल पर ,
सुशोभित करते हैं .....

सज कर हम ,
एक-दूजे की महक से ....
प्रेम की शीतलता से ,
ह्रदय पीड़ की रचनाओं को ,
तृप्त करते हैं .....

हम-तुम प्रेम का वो आसमां हैं ,
जो रंगीन इंद्रधनष को ....
हमारे व्याकुल ह्रदय को ,
अपने...