मेरे मन मंदिर कि पवित्र मुरत हो तुम ....
तुम्हारी मुरत मुझे ,
ईश्वर से कम नही लगती ...
क्योंकि है ,
तुम्हारे पास निस्वार्थ .....
प्रेम करने की अभिलाषा ,
वो प्रतिक्षा का प्रसाद .....
जिस के धीरज के तप में ,
तुम...
ईश्वर से कम नही लगती ...
क्योंकि है ,
तुम्हारे पास निस्वार्थ .....
प्रेम करने की अभिलाषा ,
वो प्रतिक्षा का प्रसाद .....
जिस के धीरज के तप में ,
तुम...