Seeratmasipanya
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Seerat Masipanya
Joined on 4 October 2023
My thoughts are too strong to be held within and my words are like sponge, they can absorb everything what I feel and think, so I write.
सुकून की तलाश में धरा पे हूँ या काश में
भटक रही हूँ या थमी है द्वंद बस प्रकाश में
मन का मेरे अलोक सब छिपा मैं लिख रही यहाँ
है जो छिपी मूरत मेरी शब्दों में दिख रही यहाँ
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