...

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हारे मन को जीते कौन
चेहरे पर उदासी रख बैठा है
पलकों से आँसू ढ़क बैठा है
सबसे प्यारा सबसे न्यारा
ख़ुद पर करके शक बैठा है

रो ले जितना रो सकता है
चैन से फिर तू सो सकता है
डरने मरने से क्या ही होगा
वो कर जिससे हो सकता है

तुझको रण में खींचे कौन?
चल देगा तेरे पीछे कौन?
जिसको मिट्टी ही न सुहाये
वृक्ष को ऐसे सींचे कौन?

यूँ जीवन से बीते कौन?
जीवन संघर्ष रीते कौन?
दुनिया को जीते मन लेकिन
हारे मन को जीते कौन?

© Seerat Masipanya


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