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प्रणय-निवेदन!
स्मृतियों की अमिट छाप छोड़
आज भी सूर्य अस्त हो गया!!
मैं क्या भेज सकता हूँ तुम्हें
एक बिंदु भर चंद्रमा
तुम सजा लेना माथे पर...
एक क्रिया भर आकाश
तुम ओढ़ लेना चूनर सा...
एक विशेषण भर
छूती-घेरती हवा
जो सहलाये तुम्हारे
घने काले केशों को....
यह दिन रात की बारिश
उसकी मंद मंद फुहार
छू ले तुम्हारे कथई
नयनों को---प्रिये...
ये मेरा प्रणय-निवेदन है!!!!
आज भी सूर्य अस्त हो गया!!
मैं क्या भेज सकता हूँ तुम्हें
एक बिंदु भर चंद्रमा
तुम सजा लेना माथे पर...
एक क्रिया भर आकाश
तुम ओढ़ लेना चूनर सा...
एक विशेषण भर
छूती-घेरती हवा
जो सहलाये तुम्हारे
घने काले केशों को....
यह दिन रात की बारिश
उसकी मंद मंद फुहार
छू ले तुम्हारे कथई
नयनों को---प्रिये...
ये मेरा प्रणय-निवेदन है!!!!
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