...

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आईना कहता है मुझसे
आईना कहता है मुझसे ,
मत श्रृंगार किया करो ।
ये आंखें खूबसूरत हैं यूं ही,
मत काजल से खराब करो ।
ये लब हैं पंखुड़ी गुलाब की,
मत लाली से इन्हें आबाद करो ।
कहता है तो कहे ज़माना जो भी,
मत उनपर तुम अपना वक्त बर्बाद करो ।
जब भी देखनी हो खूबसूरती अपनी ,
मुझसे नज़रे मिला कर देख लिया करो।
© Geeta Dhulia