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दो और राजा बनो !
जब-जब मैं देता हूँ तो राजागिरी पैदा हो जाती है,
जब -जब मैं देता हूँ तो भीतर की गरीबी मिट जाती है,
और अमीरी पैदा हो जाती है। जब -जब मैं देता हूँ तो भीतर के पुष्प लहराते हैं। राजा बनने के लिए तुम्हें किसी किसी चुनाव में खड़े होने की जरुरत नहीं है, राजा बनता है व्यक्ति स्वयं की घोषणा से, स्वयं के भीतर की गरीबी को मिटा कर व्यक्ति राजा बनता है । आप बिना प्यार के किसी को कुछ दे सकते हैं लेकिन अगर आप प्रेम को जीना चाहते हैं तो देना पड़ेगा ही, बिना दिये आप प्रेम की सीढ़ियों पर न चढ़ सकेंगे, और सदा याद रखना कोई भी इतना गरीब कभी नहीं होता कि कुछ दे ही न सके ।
© 🌍Mr Strength