...

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आपकी चाहत ने हमें ऐसे तरसा रहा हैं
आपकी चाहत ने हमें
ऐसे तरसा रहा हैं
जैसे बिन बादल बारिश
तन मन को भीगा रहा हैं

देख रहा है आंखें सब कुछ
लेकिन बोलने से जुबान लड़खड़ा रहा है
ऐसे जैसे कथित तौर पर
दिल आपके इशारे पर नाच रहा हैं

इतनी आप में डूब कर
ये बेचारे जीएं जा रहा है
कि अपने आपको भी
आपके नाम के साथ बता रहा है

प्यार का पागल मती का मारा
यह कैसे जिए जा रहा है
दिल इसका कहीं लगता नहीं
किसी तरह से जिए जा रहा है

देख रहे हैं कि नहीं इसकी हरकत
यह कुछ से कुछ किए जा रहा है
रंग बिरंगी चूड़ी बिंदी लगा कर
अपने आप को आपकी तरह दिखा रहा है

पहले से ज्यादा प्रेम में पागल
यह अब हुए जा रहा है
आप जानती नहीं है शायद बता दे
आपकी बगैर भी यह आपके पुतलों के साथ जिए जा रहा है

कोतुहल दिल कि यह सब
इनकी व्योम गति से ऐसे बढ़ा रहा हैं
जैसे प्रेम लीला कृष्ण राधा का
कोई प्रदर्शन किए जा रहा है

छा रहा हैं आंखों में तस्वीर आपकी
ऐसे जैसे हिरनी आ जा रहा हैं
यह सब दृश्य आपकी
अंतर्मन को बड़ी लुभा रहा हैं

नम आंखों से बातें कहे
जो आपके दिल में कहने से पहले दस्तक दिए जा रहा हैं
हां हां वही कह रहे हैं
जो आप अंदर ही अंदर समझ कर मुस्कुरा रहे हैं

मैं अपने प्रेम कथा की
हर हालत आपसे बता रहे हैं
आप सुनिए समझिए
कैसे हम आपके बगैर जिवन बिता रहे हैं

कभी कहते हैं आपसे
तो कभी आपसे छुपा रहे हैं
आपको पलकों पर बैठ कर
शहर शहर घूमा रहें हैं

अब आपको आखों से उतारकर
सीधा दिल में बैठा रहे हैं
ऐ पारो
तुम जब भी मायूस होती हो तब-तब हंसा रहे हैं

आपकी चाहत ने,,,,,
© Sandeep Kumar