...

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खोटा सिक्का
बात इक पता चली, मैं किसी काम का नहीं,
सिक्का हूँ खोटा इक, मैं किसी दाम का नहीं।

माना कि आँसुओं को ज़रा ज़्यादा पीता हूँ,
कुछ और नाम दे मुझे, ख़य्याम का नहीं।

डरता नहीं मैं मौत से, ये बात जान ले,
डर इब्तिदा का है मुझे, अंजाम का नहीं।

मयनोश तो नहीं हूँ, तू ग़म-नोश कह मुझे,
ग़म का नशा है मुझमें, किसी जाम का नहीं।

मेरे ख़ुदा ये क्या किया है तूने मेरे साथ,
ख़ुशियों का इंतज़ार था, आलाम का नहीं।

शैदाई हूँ फ़क़त, कोई रहज़न नहीं हूँ मैं,
हाँ मुन्तज़िर हूँ पर किसी इल्ज़ाम का नहीं।

परवाज़-ए-इश्क़ आती है लेकिन मेरे सनम,
आज़ाद मैं परिंदा तेरे बाम का नहीं।
© Azaad khayaal

(2 2 1) / (2 1 2 1) / (1 2 2 1) / (2 1 2)
(मफ़ऊल) / (फ़ाइलात) / (मुफ़ाईल) / (फ़ाइलुन)
(ख़य्याम = बहुत ज़्यादा शराब पीनेवाला)
(मयनोश = शराबी)
(ग़म-नोश = ग़म पीनेवाला)
(आलाम = सभी तरह के दुःख)
(शैदाई = प्रेमी)
(रहज़न = लुटेरा, डाकू)
(मुन्तज़िर = प्रतीक्षारत)
(परवाज़-ए-इश्क़ = प्यार की उड़ान)
(बाम = छत, अटारी)