...

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फ़र्ज
हर समय हर वक़्त तुमने अपना फ़र्ज निभाया है
अपने लहू की हर एक बूँद देकर इस मिट्टी का कर्ज़ चुकाया है
अपना शीश कटा के भी हरदम हिमालय का गर्व बढ़ाया है
दुश्मन कापे भारत से अब तुमने ऐसा कहर मचाया है

देख कर तेरे जज्बे को
दिल हमारा हरसाया है
गर्व हमें है खुद पर साथी कि
हमने तुम जैसे वीरों को पाया है

खामोश मत रहना अब दुश्मन की हरकत पर
जंग का ऐलान कर देना डंके की चोट पर
सुनता नहीं, बैहरा है वो
बम बरसा दो उसकी कानों की खोट पर

बातों से बहुत समझाया है
अब लात जूतों का समय आया है
मचा दो ऐसी प्रलय उस पर लगे की
स्वयं महाकाल धरा पर आया है

बांध सब्र का टूट रहा
अब क्रोध उमड़ के आया है
तू अकेला नहीं है ऐ सूर्यपुत्र
ये देख सारा देश तेरे साथ आया है

तू इशारा करना हमें
हम भी धरा रक्त से सींच देंगे
अब अगर सवाल उठाया किसी ने तुझपर तो
कसम से हलक से उसकी जुबान खींच लेंगे

© Abhishek maurya