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बस _यूँही_बेवजह_के_ख्याल 🍁
ख़ालीपन को निपट ख़ालीपन से भर देना, तन्हाई को तन्हाई से ढक देना, भीतर की सिसकियों को चीख़ता सा लफ़्ज़ देना, पीपल से बंधे धागे पर ज़ंजीरो से कसकर बाँध देना, किसी के होने से पहले, बढ़ते हुए क़दमो को खींच लेना,
ये उलझने बेचैनिया और बेताबियाँ है, ये वही वादे, वही मरहले, वही वफ़ा की पहेलियां है,
कोई बात है जो कहने सुनाने पर भी छूट जाती है, कोई बात है जो तुम्हारे चले जाने के बाद याद आती है की जैसे अचानक उड़ते हुए परिंदे के दो चार पंख ज़मीन पे बिखर से जाते है, की जैसे आधे फल को खाते हुए छोड़कर परिंदे उड़ से जाते है, ये हर बार थोड़ा सा बच क्यो जाता है, सीने से निकलकर उंगलियों के पोरों में रह क्यो जाता है,
एक डर है जो हमे मुक़म्ममल बाहर आने नही देता, ख़त्म हो चुकी बात भुलाने नहीं देता, मैं लिखता हूँ या लिखकर खाली होता हूँ, ये पसोपेश में रहते है, ये सच है लफ़्ज़ पंखों पे परवाज़ करते है, मगर जगह छूट सी जाती है, हवा में किस्से रहते हैं..!

अकेला होना अभी सीखना होगा, लोगो से पीछा छुड़ाकर अकेला होना शायद अकेलापन नहीं है, बात करने का सलीका अभी सीखना होगा, किसी से बात करते हुए किसी और का ज़िक्र करना बेहतर नही है,
मैं हर बार झूठ बोलता हूं कि बदल जाऊंगा मगर सच कहूं कि ये मेरे हाथों में नही है..!🥀ख़ालीपन को निपट ख़ालीपन से भर देना, तन्हाई को तन्हाई से ढक देना, भीतर की सिसकियों को चीख़ता सा लफ़्ज़ देना, पीपल से बंधे धागे पर ज़ंजीरो से कसकर बाँध देना, किसी के होने से पहले, बढ़ते हुए क़दमो को खींच लेना,
ये उलझने बेचैनिया और बेताबियाँ है, ये वही वादे, वही मरहले, वही वफ़ा की पहेलियां है,
कोई बात है जो कहने सुनाने पर भी छूट जाती है, कोई बात है जो तुम्हारे चले जाने के बाद याद आती है की जैसे अचानक उड़ते हुए परिंदे के दो चार पंख ज़मीन पे बिखर से जाते है, की जैसे आधे फल को खाते हुए छोड़कर परिंदे उड़ से जाते है, ये हर बार थोड़ा सा बच क्यो जाता है, सीने से निकलकर उंगलियों के पोरों में रह क्यो जाता है,
एक डर है जो हमे मुक़म्ममल बाहर आने नही देता, ख़त्म हो चुकी बात भुलाने नहीं देता, मैं लिखता हूँ या लिखकर खाली होता हूँ, ये पसोपेश में रहते है, ये सच है लफ़्ज़ पंखों पे परवाज़ करते है, मगर जगह छूट सी जाती है, हवा में किस्से रहते हैं..!

अकेला होना अभी सीखना होगा, लोगो से पीछा छुड़ाकर अकेला होना शायद अकेलापन नहीं है, बात करने का सलीका अभी सीखना होगा, किसी से बात करते हुए किसी और का ज़िक्र करना बेहतर नही है,
मैं हर बार झूठ बोलता हूं कि बदल जाऊंगा मगर सच कहूं कि ये मेरे हाथों में नही है..!🥀