...

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मेरा बंटवारा क्यों नहीं होता -जगं एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में।।
एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त पर,
आज झिड़ी है जंग ,
तो नायिका लैसवी वैशया का फूटा गुस्सा,
झलका दर्द और दिखे-
दिखाई दिए आंसू ।।
तो किए काई होगें काई सवाल?
तो प्रशनवाचक पूछता है कि मैं पूछता हूं,
क्या है वो सवाल और कैसे हैं वो अश्रु!
वैशया की जुबान प्रशनवाचक द्वारा सुनिए।
क्यों मुझपे पर सबका हक है?
क्या अपराध मेरा।।
क्या मैं समाजिक वस्तु हूं?
क्यों मुझसे कोई जाति, धर्म, कर्म दान पुण्य गुण नहीं पूछता।।
क्या मैं सिर्फ एक मतलब हूं!
क्या मैं सबकी हूं!
इसलिए मेरा जिस्म सबका गुलाम है होकर,
शायद इसीलिए मेरी कोई इज्जत या अस्तित्व नही।।
मतलब मैं किसी ख्वाहिश नहीं सिर्फ,
जरूरत ए जिस्म की नुमाइश की चाह की भूख हूं।।
मगर हां मेरे जिस्म पर कपड़े ना रहकर भी।।
सबसे ज्यादा इज्जत मेरी और मेरे गरीब खाने कि ही है।।
मैं ना ही पुरुष से जाति पूछो
ना पूछो धर्म कर्म,
बस मैं खुशी देकर सुख ढूंढती हूं।।
फकीर से राजा ,
राजा से नेता कितने बड़े ही क्यों ना हो,
इस जिस्म की नुमाइश के मेले सब मेरे कर्जदार है।।
वो कर्ज ये कितनी बड़ी कीमत देकर भी काभी चुका नहीं पाएंगे।।
#मांजरा
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