...

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एक असम्भव प्रेम गाथा की गलियों का वर्णन।।
यह गलियां मेरी ,
यहां दूर दूर मेरा ही अंदाज दिखे,
मैं धरातल मैं रहता,
मैं हूं नहीं गाजी,
चुप रहना है स्वभाव मेरा,
मगर जब जब बढ़ता घमाशान तब मैं आता हूं,
मैं भस्मधारी हूं,
मैं भूतों का राजा हूं,
मैं जटाधारी हूं,
मैं चक्रधारी मैं मनोहारी हूं,
मैं कालचकृ हूं मुझे ही तू है,
और तुझमें ही मैं हूं,
यह गाथा का सार भी मैं हूं,
यह कुछ चाहचहाती गलियां,
और कुछ सन्नाटा पसरी गलियां मेरी है,।।
मैं ही लेखक मैं प्रश्नवाचक और मैं ही स्कीन राइटर तथा मैं ही कैमरा मैन ऑफ सागा भी हूं।।
यह सवाल भी मैं पूछता हूं,
और उत्तर भी मैं ही देता हूं,
मैं ही गाथा का राहगीर हूं,
यहां कर्म भी मैं और फल भी मैं।।
और मैं ही अलग-अलग योनियों कर्म को अंतिम तक पहुंचाता हूं क्योंकि मैं भृमणनायक हूं।।।।
और यहां कार्य करने वाला भी मैं और फल भोगने वाला मैं।
यह वेश्यालय भी मेरा,
और वो वन भी मेरा,
वो झोपडी भी मेरी,
और फुटपाथ भी मेरा,
और किन्नर कल्याणवी वल्लभ मन्दिर भी मेरा।।