...

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मोहब्बत का इज़हार कर आया मैं
अपने चांद का दीदार कर आया मैं
मोहब्बत का इज़हार कर आया मैं
नई नई मुलाक़ातों की रंगत चढ़ गई
आज अपना सब हार कर आया मैं

लबों पे मोहब्बत के सफ़र का ज़िक्र है
उसकी गली को गुलज़ार कर आया मैं
दामन से बांधने का ख्वाब देखने लगें है
आज उसे अपना हक़दार कर आया मैं

इज़हार की रस्मों को रिवाजों से निभाएं है
तमाम फरमाइशों का कारोबार कर आया मैं
मोहब्बत का कबूलनामा आहिस्ता से पढ़े है
आंखों ही आंखों में इज़हार कर आया मैं

उनके चेहरे पे आज ये कैसा हया का रंग है
ज़ज्बातों के नाम इक इंज़ार कर आया मैं
हाल-ए-दिल का ज़िक्र अब किससे कहें
अनजान शख्स पे अधिकार कर आया मैं

तमाम हसरतों की फ़िक्र पन्नों पे समेटे है
मन ही मन उसको मोहब्बत कर आया मैं
पहली मुलाक़ात का पहली एहसास लिखें है
अपनी मोहब्बत का इज़हार कर आया मैं

© Ritu Yadav
@My_Word_My_Quotes