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प्रेम या बस कल्पना
हम किसी को अपना तो मान लेते पर बाद मे पता पड़ता प्यार उनकी तरफ से था ही नहीं उसी पर आधारित ये काल्पनिक कहानी

रिंग होती है मोबाइल की
(अतुल देखता है और सोचता है फोन उठाऊं या नहीं

बचपन से कॉलेज तक अतुल और सोनिया साथ पढ़े
दोनों ही टॉपर रहे
सर तारीफ करने लगते क्या बात है दोनों ने टॉप करा

अतुल पार्ट टाइम जॉब भी करता था
ये बात सोनिया भी जानती थी
इसलिए सोनिया कई बार अतुल को अपने नोट्स देती जब क्लास मिस हो जाती या कॉलेज नहीं जा पाता

धीरे धीरे दोनों की दोस्ती और मजबूत होती गयी
अतुल के बिना कहे सोनिया समझ जाती थी तो
अतुल को लगा सोनिया शायद मुझे लाइक करती है

कुछ दिन और निकले
अब अतुल से सोनिया से अपने दिल की बात कहने की ठानी

सोनिया को क्लासेस के बाद गार्डन मे बुलाया
कह दिया मैं तुम्हें लाइक करता हूं तुम भी अगर मुझे लाइक करती हो हाँ कह देना नहीं करती हो तो कोई बात नहीं पर जवाब दे देना प्लीज

मुझे सोचना के लिए समय चाहिए

दिन गुजरते गए
14 दिन बाद सोनिया ने कहा मैं तुम्हें लाइक करती हूं तुमसे बात करके मुझे अच्छा फील होता
पर ये प्यार नहीं रह सकता क्योंकि मेरे रिश्ते की बात चल रही उससे भी बड़ी बात मेरा शादी मे
इंट्रेस्ट नहीं मुझे अपने पैरों पर खड़ा होना है

ये सब सुनकर अतुल की आस टूट गयी
पर कहा

आपके भविष्य के लिए शुभकामनाएं आपको आपके घर के लोग समझे और आप नौकरी कर पाए

ये कहकर अतुल चल पड़ा कुछ देर तन्हाई को जीने

चल चला चल
अकेला चल चला चल

ये अतुल के माइंड मे गाना चलने लगा

अतुल घर आया खुद को बहुत खुश बता रहा था
पर सब समझ गए कुछ तो बात है

ध्रुवी ने पूछा क्या हुआ ?
पता नहीं बस शब्द नहीं बचे आज पास

शायद तेरा दिल टूटा है
प्यार बस पाने का नहीं निभाने का भी नाम है
तू
तू अपने सपने पूरे कर और अपनी तबियत मत खराब कर प्यार होना बुरा नहीं पर उसके लिए खुद को तोड़ देना ये भी तो सही नहीं

अतुल को अपनी बहन की बात समझ आ गयी
वो अब परिवार को समय देने लगा
धीरे धीरे अतुल सामान्य हो गया ।

समाप्त
15/6/2024
4:45 शाम
© ©मैं और मेरे अहसास