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तपिश सूरज की
कविता: तपिश सूरज की

जलता है जो तपिश सूरज की
जुगनुओं के बीच स्पर्श की

यह बात नहीं, वश में होना
लक्ष्य को पाने का रास्ता होना

अलभ्य लक्ष्य है, जो पाना है
विश्वास खुद पर, तो बस जाना है

सूरज की ताप से झेलता है सब
लेकिन जो लक्ष्य है अलभ्य, वही सही निशान है

चिर यात्रा में, इस जीवन की राह में
ज़िंदगी को जीने की, विश्वास और मेहनत से चाह है।

एक दिन उड़ जाएगा, सूरज की ताप
जुगनुओं के बीच भी, तेरा लक्ष्य मिलेगा ज़रूर
विश्वास रख, खुद पर, और राह की परवाह नहीं।

स्वरचित
अंकित पांडेय
PGT इंग्लिश
एसजेएस पब्लिक स्कूल
गौरीगंज
© @Ankit