![...](https://api.writco.in/assets/images/post/user/poem/914240526102110507.webp)
10 views
मैं बन के कबूतर
मैं बन के कबूतर
तेरे छत पे आ जाऊं,
लिखे रक्त से जो मैने
सारे खत वो छोड़ जाऊं।।
बन के मियां मिट्ठू
चूम लूं तेरे गाल मैं,
या बना के तुझको मैना
बैठा लूं प्रेम डाल में।।
बनकर खान की शहनाई
तेरे मन मंदिर में बज जाऊं,
या बनके बाई मीरा
गीत मिलन के गाऊं।।
खुशबू तेरे बदन की
जैसे बेला की लता में,
मैं हूं राख भस्म हूं
लिपटा साधु की जटा में।।
परिस्थिति अनुकूल है
कहो तो पंडित बुलवाऊं,
या जाके मैं बाज़ार मे
चिट्ठी तेरे नाम की छपवाऊँ।।
अच्छा ये तो कल की बातें हैं
तुम ज़रा जाल तो हटाओ,
मैं बन के कबूतर
तेरे छत पे आ जाऊं।।
♥️♥️🪷🪷♥️♥️
–ध्रुव
© Dhruv
तेरे छत पे आ जाऊं,
लिखे रक्त से जो मैने
सारे खत वो छोड़ जाऊं।।
बन के मियां मिट्ठू
चूम लूं तेरे गाल मैं,
या बना के तुझको मैना
बैठा लूं प्रेम डाल में।।
बनकर खान की शहनाई
तेरे मन मंदिर में बज जाऊं,
या बनके बाई मीरा
गीत मिलन के गाऊं।।
खुशबू तेरे बदन की
जैसे बेला की लता में,
मैं हूं राख भस्म हूं
लिपटा साधु की जटा में।।
परिस्थिति अनुकूल है
कहो तो पंडित बुलवाऊं,
या जाके मैं बाज़ार मे
चिट्ठी तेरे नाम की छपवाऊँ।।
अच्छा ये तो कल की बातें हैं
तुम ज़रा जाल तो हटाओ,
मैं बन के कबूतर
तेरे छत पे आ जाऊं।।
♥️♥️🪷🪷♥️♥️
–ध्रुव
© Dhruv
Related Stories
6 Likes
2
Comments
6 Likes
2
Comments