प्रेम बंधन से, मोह बंधन
जब तुम पलकों पे, रात बिताओगे
जब हमें भी नींद नहीं आयेगी,
तुम भी कहां सो पाओगे
यूं दीवारों से खिड़कियों को
देखकर खयालों में कहीं खो जाओगे,
तुम भी हमे भूलोगे नहीं
और तुम भी हमे याद आओगे,
तब समझ लेना अब हम दोनों
प्रेम बंधन से मोह बंधन में बंध चुके हैं।
© अन्वित कुमार
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ऐसा होता है...
जब हमें भी नींद नहीं आयेगी,
तुम भी कहां सो पाओगे
यूं दीवारों से खिड़कियों को
देखकर खयालों में कहीं खो जाओगे,
तुम भी हमे भूलोगे नहीं
और तुम भी हमे याद आओगे,
तब समझ लेना अब हम दोनों
प्रेम बंधन से मोह बंधन में बंध चुके हैं।
© अन्वित कुमार
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ऐसा होता है...