...

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बस तुम्हें चाहती है।
अक्सर ये आंखें
तुम्हारा दीदार चाहती है।
चाहती है कि
फिर उसी मोड़ पर
मिल जाओ तुम जहां पे यूं
रुखसत हुए थे।

चाहती है कि
फिर लौट
आओ तुम जैसे
अनपेक्षित से गए थे।

चाहती है कि
उम्र भर ठहर जाओ तुम,
जिस तरह तुम्हें देख
ये लम्हें ठहर गए थे।

अक्सर ये आंखें
सुकून चाहती है,
बस तुम्हें चाहती है।
© eëk_Tãlķ