...

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कुछ पाना है
कुछ पाना है
वैसे क्या पाना है
मुठ्ठी बाँधे तुम जब आए थे
क्या साथ लाए थे
सांसारिक सुखों के जाल में
कौन सा सुख तुम भोगने आए
जो तुम खुद को भूल गए
कुछ पाने के चक्कर में
जिन्दगी की हकीकत भूल बैठे
वैसे क्या पाना है
झूठे सच्चे वादे करते दिखे
छल फरेब की गठरी लिए फिरते दिखे
फिर भी सुकून न पाए
ऐसा क्या पाना है
जिसके कारण अपने
अस्तित्व को ही मिटा जाना है
कुछ पाना है
चलो न इस भागम भाग
जिन्दगी से खाली हो जाते हैं
कुछ अपना समय ईश्वर ध्यान में बिता
जीवन भर प्रसन्न रहने का समान जुटाएँ
क्या कहा समय नहीं
समय तो निकालने से निकलता है
ऐसा जो कहते हैं
ईश्वर भी कह देते हैं
मेरे पास भी समय नहीं
तब तुम अपने आपको अकेला पा
विपत्ति आने पे ध्यान लगाते हो
ईश्वर भी पूछ बैठते हैं
अब तक कहाँ थे
जो अब आए हो
पहले ही आ जाते
चँचल मन की डोर मुझे थमा जाते
कुछ पाने के चक्कर में
दिन रात तुम मेहनत करते हो
फिर भी ख़ुशियों का
सामान जुटा नहीं पाते
क्यों खुद से बेखबर तुम दिखते हो
झूठी मुस्कान लिए फिरते हो
क्यों खुद को तुम धोखा देते हो
अब आए हो तो
खाली हाथ न जाओगे
सुप्रीम कोर्ट की अदालत में
तुम जरूर न्याय पाओगे
सुप्रीम कोर्ट की ....
कुछ ही नहीं तुम बहुत कुछ पाओगे
कुछ पाना है कहना भूल जाओगे
© Manju Pandey Choubey