बहारों की महफिल
*बहारों की महफिल*
न जाओ उस राह पर, जिसकी न कोई मंजिल
बेइंतहा आरजूएं न रखो, होगा न कुछ हासिल
हर किसी की जिन्दगी, उसकी अपनी अमानत
मत होना कभी किसी की, दहलीज में दाखिल
दिखाना अपना...
न जाओ उस राह पर, जिसकी न कोई मंजिल
बेइंतहा आरजूएं न रखो, होगा न कुछ हासिल
हर किसी की जिन्दगी, उसकी अपनी अमानत
मत होना कभी किसी की, दहलीज में दाखिल
दिखाना अपना...