...

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शाम तू ही बता !!
शाम तू ही बता
क्या बात है तुझ में?
क्यू मिलाती तू मिठास
इन थड़ी हवाओं में

क्यू ढहलाती तू
इस दिन के उजाले को?
क्यू पुकारती तू
उस रात के अंधेरे को?

शाम तू ही बता
क्या बात है तुझ में?
क्यू फुसलाती तू
सुरीले गीत गुनगुनाने में?

क्यू मिटाती तू
पुष्कर में बिखरे बादल ?
क्यू बिछाती तू
सितारों की रंगीन चादर ?
© Gaur_av