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ग़ज़ल
वो जो दिखने में गुलाबों की तरह होता है
उस का लहजा ही तो ख़ारों की तरह होता है
जिन के कपड़ों पे लगे रहते हैं पैवन्द कई
उन का किरदार सितारों की तरह होता है
माँ का हँसना तो है जन्नत की ज़मानत लेकिन
माँ का ग़ुस्सा भी दुआओं की तरह होता है
हाथ जब प्यार से वो रखता है इन आँखों पर
तो अँधेरा भी उजालों की तरह होता है
नाम सुनते ही कमी दर्द में आ जाती है
आप का ज़िक्र दवाओं की तरह होता है
झूठ से जिस के भी होती हो हिफ़ाज़त सच की
ऐसा झूठा भी तो सच्चों की तरह होता है
© Rehan Mirza
#ghazal #rehanmirza #WritcoQuote #writcopoem #Hindi #urdupoetry
उस का लहजा ही तो ख़ारों की तरह होता है
जिन के कपड़ों पे लगे रहते हैं पैवन्द कई
उन का किरदार सितारों की तरह होता है
माँ का हँसना तो है जन्नत की ज़मानत लेकिन
माँ का ग़ुस्सा भी दुआओं की तरह होता है
हाथ जब प्यार से वो रखता है इन आँखों पर
तो अँधेरा भी उजालों की तरह होता है
नाम सुनते ही कमी दर्द में आ जाती है
आप का ज़िक्र दवाओं की तरह होता है
झूठ से जिस के भी होती हो हिफ़ाज़त सच की
ऐसा झूठा भी तो सच्चों की तरह होता है
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