...

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ग़ज़ल
वो जो दिखने में गुलाबों की तरह होता है
उस का लहजा ही तो ख़ारों की तरह होता है

जिन के कपड़ों पे लगे रहते हैं पैवन्द कई
उन का किरदार सितारों की तरह होता है

माँ का हँसना तो है जन्नत की ज़मानत लेकिन
माँ का ग़ुस्सा भी दुआओं की तरह होता है

हाथ जब प्यार से वो रखता है इन आँखों पर
तो अँधेरा भी उजालों की तरह होता है

नाम सुनते ही कमी दर्द में आ जाती है
आप का ज़िक्र दवाओं की तरह होता है

झूठ से जिस के भी होती हो हिफ़ाज़त सच की
ऐसा झूठा भी तो सच्चों की तरह होता है

© Rehan Mirza

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