...

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मेरा जीवन



मैंने बाल बाँध लिए
सिर ढक लिया,
पर जनाब आपने क्या किया?

मैंने कदम रोक लिए
खुद को पीछे कर लिया ,
पर जनाब आपने क्या किया?

मैंने छह पहर के काम कर दिए
चार बजे को शाम मान लिया,
पर जनाब आपने क्या किया?

मैंने कलम बस्ते छोड़ दिए
सात जन्मों का बंधन थाम लिया,
पर जनाब आपने क्या किया?

मैंने पुराने नाते भुला दिए
नया रिश्ता खूब निभा लिया,
पर जनाब आपने क्या किया?

मैंने बचपन की दीवारें-आँगन लांघ दिए
अजनबी छत को बसेरा बना लिया,
पर जनाब आपने क्या किया?

मैंने हर तरह के ताने सुन लिए
इसी को सबका प्यार जान लिया,
पर जनाब आपने क्या किया?

कमाने और दुनिया की मंझधार में फंसे आप
आपको हर पल मौजूद एक किनारा दे दिया,
पर जनाब आपने क्या किया?

रहने को छत?
तन को कपड़ा?
खाने को रोटी?
सजने को गहना?
एक पति?
एक पिता?
एक भाई?
एक मर्द का सहारा?

क्या इतना ही सीमित है
जीवन मेरा बेचारा?