...

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बो हस रही
मैने सामने देखा बो

मुझ पर हस रही थी
हस रही मेरे बजूद पर
मे बस बेबस उसे देख रही
बो बोली ।।।
कि तू ओरो के के लिए चंचल
और खुली किताब बनके बैठी
खुद को खुद से कैद कर
दुनिया की भीड मे भी अकेले बैठी है

क्या ये वही है जो खुद पर खुद को हसते देख दिल कोट कर रो बैठी

अरे हस्ते हसते सामने बाली भी रो बैठी
हा ये हसने वाली कोई ओर नही उसकी खुदकी परछाई है
जिससे वो बैर मान बैठी है

बैर मान कर खुद से ही जिन्दगी जीने ली

बो हस्ते हस्ते रो बैठी


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