...

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मुसाफ़िर
कुछ लोग ना ज़िंदगी में आने ही नहीं चाहिए
ना मैं बदलता ना मेरा वक़्त
मुसाफ़िर की तरह आते है
और हम बस वहीं रह जाते है

क्या फ़र्क़ पड़ता है उन लोगो को
जो दिल से खेल जाते है
एक दर्द तेरे ज़िस्म पे तो दूजा मेरे दिल में
वो यूं ही मुस्कुराकर भूल जाते है

कुछ लोग ना ज़िंदगी में आने ही नहीं चाहिए
एहसास बन कर आते है
और बस उम्र भर के लिए चले जाते है
© 𝕤𝕙𝕒𝕤𝕙𝕨𝕒𝕥 𝔻𝕨𝕚𝕧𝕖𝕕𝕚