...

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चांद की दर्द
रात की सन्नाटों में,
काले आसमानों के बीच,
चांद उसकी रौशनी से,
मनभरती सबकी रोज।

लेकिन वो भी अंदर से,
टूटती गई तेज,
उसकी मुस्कुराहट देख के,
दर्द हमे पता ना लगा काश।

ये देख कर उसे लगने लगी,
बहुत बड़ी बोझ,
थोड़ा सोचने के बाद मिली,
उससे एक छोटी सी ईलाज।

हुई गायब फिर सोची,
कोई तो करे मेरी दर्द महसूस,
पर वहा बदला ने ,
कुछ भी चीज।

दुनिया तो कर रही थी,
अपना मस्ती मोज,
फिर भी थोड़ा रोई,
चौड़ी उसकी उम्मीदों की निराश,

इतना होने के बाद ही,
उसको आया सारे समझ,
अगले दिन पूरे बनके आई,
हस्ते हुए बोली ,
ये दुनिया सारी नासमझ।

© Saamaanyan

Translation from Hinglish to Hindi by
Sunny Singh

Guided by @sim2904