...

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तुम्हारा वो आखिरी गुलाब
सूरज की किरणों से खिलता,
बसंत का आगमन आया।
हर रंग खिलता, हर फूल मुस्कान भरा,
प्रकृति का यह त्योहार सजा।

फिर दिल में उठी एक ख्वाहिश,
उस गुलाब को तोड़ने की।
वो जो बाग में सबसे खूबसूरत था,
उसे अपने लिए चुनने की।

हर रोज उसकी खुशबू से मिलने को,
मन तरसता था रात-दिन।
दिल धड़कता था उसके लिए,
जैसे मिले कोई अपना हिस्सा जिन्दगी का किन।

पर वो गुलाब हर किसी के लिए था,
उसे तोड़ना मेरे बस की नहीं।
उसकी खूबसूरती में छुपी रही मेरी भावनाएं,
जिन्दगी भर संग रहने की मेरी आशा, मेरी महकी मोहब्बत की भरी मिशाल।

गुलाब से मिलने का सपना अधूरा रह गया,
पर उसकी यादों में भीगी मेरी आँखें।
वो आखिरी गुलाब जिसने मेरे दिल को छू लिया,
वो अब मेरी कविता के पन्नों में, मेरी यादों में, हमेशा के लिए बसा है।
©️Simrans