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जाग रे इंसान: ले पराचेतन की उड़ान
प्रश्न:
आपके अंदर ऐसा क्या है, जो आपको जानवरों से बेहतर बनाता है?
उत्तर:
✍🏼 यदि शारीरिक संवेदनाओं की दृष्टि से देखें, तो हमें पता चलता है कि- विभिन्न पशु किसी न किसी संवेदना में हमसे बेहतर होते हैं। अतः उस दृष्टिकोण से देखा जाए, तो हम जानवरों से बेहतर नहीं हैं।

किन्तु यदि पृथ्वी पर चेतना के उद्विकास की दृष्टि से सोचें, तो हमारे अंदर हमारा अहम्-भाव (Egocentricity) अर्थात् स्व-चेतन्य (self-consciousness) है, जो हमें अन्य जानवरों से बेहतर बनाता है।

ऐसा ही आपके साथ भी है, क्यों कि- आप भी हमारी तरह ही एक इंसान हैं।

पृथ्वी पर यह जीवन, चेतना की स्थिति के उद्विकास की यात्रा है।

सबसे निम्न स्तर पर-

✓जड़ पदार्थ में जीवन अचेतन (unconscious) है।

अगले स्तर पर-

✓पादप में जीवन अवचेतन (subconscious) है।

उससे ऊपर उठने पर-

✓मनुष्य से भिन्न पशुओं में जीवन चेतन (conscios) है।

और फिर इस क्षैतिज उद्विकास horizontal evolution) के‌ शीर्ष पर,

✓मनुष्य ने स्व-चेतन (self consciousness) की छलांग ली।

स्व-चेतना का अर्थ है —

हम हैं, व अपना "होना" व्यक्तिगत रूप से जान भी रहे हैं।

ऐसा पशुओं के साथ नहीं हैं।

वे हैं, लेकिन उनको अपने "होने" का अहसास नहीं हैं। उनकी चेतना सामुहिक ‌‌‌‌है।

बस यही बात यानि स्व-चेतना ही आपको और हमको, यानि मानव-मात्र‌ को जानवरों से बेहतर बनाती‌ है।

किन्तु इस उद्विकास के साथ ही मनुष्य के साथ एक ज़िम्मेदारी भी बढ़ गई है, और वह है, स्व-चेतन से पराचेतन (super consciousness) में छलांग लेकर , चेतना के उर्ध्व-उद्विकास (vertical evolution) को सम्भव बनाना।

ताकि- हम स्वचेतना द्वारा अभिव्यक्त किए गए, अपने मिथ्या अहम् (FALSE EGO) से‌ मुक्त होकर सत्य-स्वरूप (TRUE SELF) में अधिष्ठित हो सकें। और इसप्रकार मानव-जीवन का लक्ष्य हासिल कर सकें।

अन्यथा हमारा अहम् हमारे पाशविक संस्कारों के दबाव में आकर हमें पशु से भी बदतर हालात में ले जाता है।

ज्ञातव्य है, कि-

मानव-योनि तक‌ होने वाला चेतना का क्षैतिज उद्विकास (Horizontal Evolution) प्रकृति द्वारा संपादित होता है।

जबकि- स्व-चेतन से पराचेतन की उड़ान के रूप में होने वाले ऊर्ध्व उद्विकास (Vertical Evolution) के लिए मनुष्य को अध्यात्म का अनुशीलन करना‌ होता है।