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क्या मैं भी अवतार?
(भाग १)
"और इस प्रकार रावण को मारकर, श्री राम माँ सीता के संग अयोध्या लौट आये और रामावतार का काम सिद्ध हुआ! " परंतु दादी माँ रामावतार मतलब क्या? रामावतार मतलब राम का अवतार होता है शिवम! जब कोई देवता या भगवान् किसी दूसरे वेश में आते है तो उसे अवतरित होना कहते है! और उनके उस रूप को अवतार। तो दादी माँ क्या हम सब अवतार है? क्योंकि हम भी तो भगवान् के रूप ही है न! ”नहीं.., हां " कह कर वो रुक गई! ये सवाल थोड़ा पेचीदा था तथा ये सवाल ने दादी माँ को सोचने पर मजबूर कर दिया था क्योंकि ऐसा सवाल उनकी इतने वर्ष के जीवन में किसी ने नही पूछा था।
दादी माँ आप सुन रही, हम अवतार है या नहीं ? हम्म्, इसका जवाब अब तुम्हे कल की कहानी में बताऊंगी अभी रात अधिक होगई है तुम सो जाओ। परंतु मुझे आज जानना है, शिवम थोड़ा यहाँ जिद्दी हो रहा था परंतु दादी माँ ने आँख दिखाई और कहा "सही समय में सही काम करने वाला कौन होता है?"
" वो अच्छा लड़का होता है",
इतना कहकर शिवम अपनी दादी माँ से लिपटकर सो गया। परंतु दादी माँ की नींद जैसे उड़ गई हो वो उस सवाल के उत्तर को जानना चाहती थी जिससे उनका पोता शिवम का दिल भी न टूटे और बात सही भी हो। क्योंकि उन्हे इस बात का ज्ञात था कि हम समान्य इंसान किसी के अवतार कैसे हो सकते है। परंतु ये कहना एक छोटे बालक को उसका दिल तोड़ना और भवीष्य में उसका सही दिशा में न चलना हो सकता है। थोड़े देर बाद उनको भी नींद ने अपनी जकड़ में लेलिया। सुबह शिवम अपने विद्यालय के लिए निकला तो दादी माँ मन्दिर के लिए।

मन्दिर पहुंचकर वो भगवान् से अपने पोते के सवाल का जवाब चाहती है परंतु उसका उत्तर उन्हें अभी भी नहीं समझ आता है तो वो उस मन्दिर के पुजारी से पूछती है। पुजारी ने साफ साफ कह दिया कि हम तो समान्य इंसान है अवतार तो एक शुभ घड़ी में होता है और जब भगवान् अवतरित होते है वातावरण मनोहर और खूबसूरत हो जाता है। अथार्थ हम समान्य इंसान है न की किसी भी देवता अथवा भगवान् के अवतार। परंतु दादी माँ इस उत्तर से संतुष्ट नहीं होती है, वो उस बात में खोई सीढ़ियों से उतर ही रही होती है की उनका पाँव फिसल जाता है और वो सीढ़ियों में गिर जाती है। उनके सिर से खून निकलने लगता है, और वहाँ पर मौजूद कोई भी इंसान आगे नहीं आता है, धीरे धीरे उनकी आँखें बंद होने लगती है और वो बेहोश हो जाती है। जब आँख खुलती है तो खुद को अस्पताल में लेटा देख वो हैरान हो जाती है, बगल में उनका बेटा और बहु को बैठा देख वो कुछ बोलने जा ही रही होती है तब तक उनका बेटा बोलता है आपको कुछ नही हुआ है माँ आप बिल्कुल ठीक हो गिर जाने के कारण आपके सिर पर थोड़ी चोट आई है, आप कल शाम तक घर चल सकती हो। उनकी बहु ने बीच में शब्दों को काटते हुए कहा कि ये तो भगवान् का शुक्र है की धीरज सही समय में आ गया नहीं तो खून का रिशाव तेज था। कौन धीरज? अरे माँ जिसने आपको यहाँ लाया। वो है कहाँ? वो तो कब का चला गया माँ, उसे तो हमलोगों ने भी नही देखा। पर जो भी हो वो मेरे लिए तो भगवान् का एक अवतार है, जिसने मेरी माँ की जान बचाई है। अपने बेटे की इस बात को सुन दादी माँ को अवतार की बात समझ आ गई और वो अब शिवम को बताने के लिए आतुर हो गई। उन्होंने शिवम् को खोजा, तो सभी ने बताया वो अभी घर मे है। दादी माँ ने उसे मिलने की चाह की।

शिवम् को बुलाया गया, शिवम् अपनी दादी माँ को इस हालत में देख रोने लगा। "अरे शिवम् अच्छे लड़के?"
"नहीं रोते दादी माँ!" इतना कहकर वो अपनी दादी माँ से लिपट गया। "तुम्हें पता है मैंने क्यों बुलाया", "क्यों दादी माँ?"
"क्योंकि आज मुझे वो कहानी पूरी करनी है एक सही उद्धाहरण के साथ।कौन सी वरदान की बात माँ, अभी आप आराम करो। घर जाकर आप इसे बता देना। नहीं इस बात ने मुझे जकड़ रखा है, और शिवम् को मैंने कहा था कि मैं उसे आज बताऊंगी।अच्छा तुम और तुम्हारा प्यारा पोता शिवम् दोनों सुनने से रहे मेरी ठीक है सुनाओ पर सिर में दर्द हो तो तुम्हें आराम करना होगा। हां समझ गई। शिवम सुनो, हां हम सब एक अवतार है! सच में तो हमारी भी पूजा होगी? शिवम् ने बड़ी उत्सुकता से पूछा। नहीं जिसने अपने आप के भीतर के नारायण को जान लिया वो पर्मुख अवतारों में से एक बने और उन्हें लोग भगवान् कहने लगे, परंतु सब भगवान् की पूजा हर जगह नहीं होती। कुछ ही है जिनको हर त्यौहार में याद किया जाता है। जैसे की शिव जी है न दादी माँ शिवम ने बीच मे अपनी बात कही, बिल्कुल सही और अवतार में बात की जाए तो कृष्ण जी। यद्यपि वो मनुष्य रूप मे थे फिर भी उनको पर्मुख अवतार में रखा गया जानते हो क्यों? क्यों दादी माँ? क्योंकि उन्होंने अपने एक जीवन में ही 16 गुण दिखाये और न सिर्फ दिखाये उन सभी में उन्होंने खुद का अवल भी रखा। और इन सभी गुणों में अवल होने के बाद भी मन में अहं भाव नही जगने दिया। और धर्म अथार्थ सही कर्म में लगे रहे, इसलिए वो मनुष्य जीवन में होने के बाद भी भगवान् के सारे गुणों को पा लिया। सबके प्रति निस्वार्थ प्रेम, सबकी प्रति उद्दारता, और अधर्म को नाश करने की शक्ति ने उन्हें भगवान् बनाया, शक्ति तो उनके पास थी ही वो भी दृढ़ विशवास से ही संभव है। तुम्हें नरसिंह भगवान् की कहानी याद है, उसमे भी भगवान् ने अधर्म का नाश किया तो राम ने भी ये प्रमाण किया। तो दादी माँ, सिर्फ ताकतवर होने पर ही हम भगवान् का अवतार कहलाएंगे? क्योंकि सब अच्छे थे, ये समझ गया पर सबमें सुपर पॉवर थी जिससे उन्होंने अधर्म का नाश किया, मतलब बिना ताकत भगवान् नहीं है हम?
इतना कहकर शिवम मायुष् हो गया, और वहाँ पर मौजूद सभी लोग शांत।
© A.K.Verma