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बूढ़ी अम्मा भाग १५
कोयली के पिता सौभ्य को वचन देते हैं।
वो अब कभी शराब को हाथ नहीं लगाएंगे।
सौभ्य के पिताजी अब जल्द ही शुभ मुहर्त देख कर
दोनों की शादी कर देते हैं।
अगर आप सभी की रजामंदी हो तो।
सौभ्य के पिता कोयली से पूछते हैं।
बेटा तुमने झूठ क्यों कहा तुम पढ़ी लिखी नहीं हो।
कोयली..बिना डिग्रियों के आजकल अनपढ़ ही
समझते हैं लोग भले ही इंसाँ पढ़ा लिखा हो।
या वो किसी हुनर में माहिर हो।
माँ मेरी पढ़ी लिखी नहीं है। इसलिए इन्होंने सोचा
मैं तो पढ़ लिख न सकी अपनी बेटी को तो पढ़ा दूँ।
इसके लिए वो स्कूल के बाहर ही बेर की रेडी लगाती। जब बाजार से बेर न मिलते तो मुरमुरे ले भेलपूरी बना बना बेचतीं।
तब मैं बहुत छोटी थी।माँ के कार्यों में हाथ बंटाती
मुझे ठेले के बगल में बैठा देती।
मुझे आज भी याद है उस दिन जब माँ से एक मैडम
ने कहा तुम इतनी छोटी सी बच्ची से काम करवाती
हो इसे स्कूल क्यों नहीं भेजती।
माँ ने कहा भेजने के लिए पैसे भी तो होने चाहिए।
अच्छा तुम एक काम करना इसे मेरे घर लेकर आ
जाना।
मैडमजी ने अपने घर का पता दे दिया पिताजी को
इस बारे में बिल्कुल भी आभास न था।
आज माँ मुझे अच्छे से तैयार कर मैडमजी के
घर ले गईं मैडमजी का घर किसी गुरुकुल से
कम न था।मैडमजी ने कहा तुम रोज इसे यहाँ लाकर छोड़ जाना इसके खाने पीने की चिन्ता न करना हमारे यहां सभी प्रकार का प्रविधान है।
माँ तो चली गईं।मैडमजी अन्यबच्चों से मुझे मिलवाने लगीं सभी ने अपना अपना नाम बता मुझसे दोस्ती करी।
सभी ने मेरा नाम जानना चाहा तो मैंने अपने
घर का नाम कोयली बता दिया।
फिर क्या था सभी बच्चे कोयली कोयली कहकर
हँसने लगे।मैडमजी ने सभी बच्चों को जोर से डाँट
लगाई कहने लगी कल से यहाँ पढ़ने नहीं आना।
बच्चे मैडमजी गलती हो गई।अब ऐसा नहीं होगा
माफ़ कर दिजिये।
आज मैडमजी की मेज़ पर बहुत से फल रखे हुए थे।मैडमजी एक एक कर सभी से पूछ रही थीं।
तुमको कौन सा फल अच्छा लगता है।
सब बच्चे अपनी अपनी पसंद के फल उठाते तब
मैडमजी उस फल का नाम अँग्रेजी व हिन्दी दोनों
में बताती।मैंने भी एक फल उठा लिया मैडमजी ने
पूछा तुम्हे पता है इस फल को क्या कहते हैं।
कोयली ...मैडमजी अमरूद कहते हैं।
मैडमजी ने अंग्रेजी में इसका नाम गोवावा बताया।
एक छोटेबच्चे को फल नहीं मिला तो वो थोड़ा सा
रूआंसा सा हो गया।मैडमजी शायद गिनती के फल लाईं थी।इसलिए शायद एक कम पड़ गया।
आज मैं जो उन बच्चों की संख्या में बढ़ गई थी।
तभी मैंने देखा सभी बच्चे अपने अपने फल में से
उस छोटे बच्चे को दे रहे हैं।मैंने भी अपने अमरूद को उसे देना चाहा तो उसने मना कर दिया।
कहने लगा पहले ही इतना अधिक खा लिया
अब और खाने की इच्छा नहीं है।
इतने में मैडमजी की आवाज़ आई।
अच्छा बच्चों बताओ एक फल ऐसा भी होता है
जो दिखाई नहीं देता लेकिन होता मीठा है।
इतने में उस छोटे से नन्हे से बच्चे की आवाज़ आई,
मैडमजी सब्र का फल मैडमजी कहने लगी
शाबाश बेटा सभी बच्चे ताली बजाओ।
ताली की गड़गड़ाहट से घर गूँज उठा।
© Manju Pandey Choubey