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"तिरीष्कृत"
अनीमा, गीता और पायल तीन बहनें थी। मगर तीनों के स्वभाव और रूचियाँ अलग अलग थी। जहाँ अनीमा शांत और कला प्रेमी थी वही गीता और पायल की नृत्य और संगीत में रूचि थी। पढ़ाई में तीनों मेधावी छात्राएँ थी। जहाँ गीता और पायल गौरवर्ण की थी वही अनीमा सांवली मगर आकर्षक नयन नक्श की थी। पिता मोहित शर्मा अपनी तीनों पुत्रियों से अथाह प्रेम करते थे और माँ लक्षमी भी अपनी तीनों पुत्रियों के कला प्रेम और आपसी सामंजस्य देखकर बेहद प्रसन्न रहतीं थी।
सब कुछ ठीक ठाक ही चल रहा था और समय अपनी गति से पंख लगा कर उड़ता रहा।
कुछ वर्ष बाद सबने परास्नातक भी पूर्ण कर लिया और सबने अपने पसंद के अनुसार काम भी चुन लिया जहाँ गीता और पायल एक विद्यालय में संगीत और नृत्य शिक्षिका बन गई वही अनीमा भी अपने चित्रों की प्रदर्शनी लगाने लगीं। उसके चित्रों को हर जगह खूब पसंद किया जाता क्योकि वो बहुत ही गहरे विषयों पर चित्र बनातीं थी कभी दहेजप्रथा कभी जातिवाद तो कभी क्रांतिकारियों का जीवांकन पेश करती।
एक दिन की बात है उसनें शहर से बाहर अपने चित्रों की प्रदर्शनी लगायीं थी वहाँ बहुत से लोग आ रहें थे। कि तभी एक आवाज़ उसके कानों से टकराईं "इस चित्र का क्या प्राईस है? " उसनें पलटकर देखा तो एक आकर्षक युवक को अपनी ओर मुखातिब पाया उसनें मुस्कुरा कर चित्र का मूल्य बता दिया। युवक ने कहाँ आपके चित्रों में मुझे बेहद गहराई दिखती है,अनीमा चौकी तो युवक हंस दिया जी मै इससे पहले भी आपके चित्रों की कई प्रदर्शनी में आ चुका हूँ खैर मुझे सलीम सिद्दीकी कहते है।
अनीमा ने उससे हाथ मिलाया और दोनों काफी देर तक बातें करते रहे।
कुछ देर बाद सलीम ने विदा ली और अनीमा के दो चित्र खरीद लिए। अनीमा की उस शहर में दो दिनों की और प्रदर्शनी लगी थी इस बीच सलीम रोज आता रहा और उससे रोज मिलता रहा,इस बीच सलीम ने अपना फोन नंबर भी अनीमा को दे दिया था। आज प्रदर्शनी का आखिरी दिन था दोनों मिले और विदा लेते समय अनीमा की आंखों में आंसू आ गए तो सलीम ने भी उसे गले से लगा लिया। दोनों ने जल्द मिलने का वादा करके एक दूसरे से विदा ली।
इधर घर आकर उसे पता चला कि पिता ने उसकी शादी तय कर दी है और इस रविवार लड़के वाले उसे देखने आ रहें है तो वो माँ से बोलीं माँ मै ये शादी नहीं कर सकतीं मै किसी और से प्यार करती हूँ। आजकल माता पिता को भी प्रेम विवाह में कोई आपत्ति नहीं होती तो माँ सहज होकर बोलीं ठीक है तुम्हारे पापा को बता देंगे ये बता लड़का कौन है क्या करता है? तो अनीमा ने मां को सब कुछ बता दिया और जब माँ ने उसका नाम सुना तो जड़ हो गई। क्या हुआ माँ अनीमा चौकी "बेटी तेरे पापा एक मुस्लिम से कभी तेरा विवाह नहीं होने देंगे, कहाँ हम हिन्दू ब्राह्मण परिवार और कहाँ वो मुस्लिम भूल जा उसे माँ ने दो टूक उत्तर दे दिया।
इधर अनीमा ने भी कह दिया कि अगर वो विवाह करेगी तो सलीम से ही करेगी नहीं तो आजीवन कुंवारी रह जायेगी।
इधर गीता और पायल भी सकते में थी कि क्या करे। उधर पापा ने जब सुना तो साफ इन्कार कर दिया। अनीमा भी जिद्द पर अड़ी रहीं और अपने काम में व्यस्त हो गई। इस बीच उसनें फोन पर सलीम को सब बता दिया वो भी उदास हो गया। समय गुजरता रहा और अनीमा की दोनों बहनों की शादियां हो गई मगर अनीमा अपनी जिद्द पर अड़ी रहीं। एक दिन की बात है मोहित किसी काम से कहीं जा रहे थे बेटी के कारण वो चितिंत रहते ही थे कि उनका ध्यान भटक गया और उनकी गाड़ी डिवाइडर से जा टकराई और वो छिटक कर गाड़ी से दूर जा गिरे। गिरते ही वो बेहोश हो गयें। होश आया तो उन्होंने खुद को अस्पताल के बेड पर पाया सामने अनीमा और लक्षमी को देख कर वो अचकचा से गयें तब लक्षमी बोलीं आपको बेहोशी की हालत में उठा कर सलीम यहाँ तक लाया है और हम सबको भी सूचना इसने ही दी। मोहित कृतघ्नता से सलीम को देखने लगे। तब लक्षमी बोलीं सलीम वही लड़का है जिससे आपकी बेटी शादी करना चाहती है। मोहित सलीम को देखकर मुस्कुरा दिये।
और कुछ ही दिनों बाद दोनों का विवाह धूमधाम से हो गया। विवाह की पहली रात सलीम ने अनीमा को आगोश में भरते हुए कहाँ तुम तो सचमुच ही मेरे लिए ईद का चांद हो गई थी जो मुझे कभी कभार ही दिखती थी मगर आज अपने इस चांद को मै जी भरकर देखूँगा और सलीम ने अनीमा के सुर्ख अधरों को चूम लिया।

(समाप्त) समय12:00 शनिवार
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