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समंदर-ए-मोहब्बत ❤️
राही ए रेगिस्तान सा बनकर घूमता रहा दर ब दर
बूंद बूंद का मैं मोहताज़ तुझमें समंदर मिला मुझे
खो गई थी हस्ती मेरी खो गया था एहतिराम मेरा
तेरे नसीब से जुड़कर तुझमें मेरा मुकद्दर मिला मुझे
इक उम्र का ही नहीं ये सदियों का सफ़र है तेरे संग
साथ चलके जाना कितना अच्छा हमसफ़र मिला मुझे
लिखी है खुदा ने किस्मत हमारी साथ साथ रहने की
ऐसा खुशकिस्मत हूं मैं कि मुझसे बढ़कर मिला मुझे
ढूंढ़ा करता था खुदा को हर जगह हर मन्नत में हर पल
दीदार पाया आंखों ने मेरी, खुदा तेरा अंदर मिला मुझे
© विकास - Eternal Soul✍️
बूंद बूंद का मैं मोहताज़ तुझमें समंदर मिला मुझे
खो गई थी हस्ती मेरी खो गया था एहतिराम मेरा
तेरे नसीब से जुड़कर तुझमें मेरा मुकद्दर मिला मुझे
इक उम्र का ही नहीं ये सदियों का सफ़र है तेरे संग
साथ चलके जाना कितना अच्छा हमसफ़र मिला मुझे
लिखी है खुदा ने किस्मत हमारी साथ साथ रहने की
ऐसा खुशकिस्मत हूं मैं कि मुझसे बढ़कर मिला मुझे
ढूंढ़ा करता था खुदा को हर जगह हर मन्नत में हर पल
दीदार पाया आंखों ने मेरी, खुदा तेरा अंदर मिला मुझे
© विकास - Eternal Soul✍️
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