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भारत की पुकार
यह भारत की पुकार है। नव जीवन की माँग है। मिले - जुले रहो बिछड़ो नहीं, एक बनो सदा नेक रहो। इतिहास कभी न भूलो, अगर भूलो तो यह भारत देश, अखंड न रहकर खंड-खंड होगा। किला आजादी का ढह जाएगा। । "लड़ो भिड़ो कट मरो" की यह नीति छोड़ रे। "मिलो जुलो मजबूत बनो" की नीति सीख रे। अनवरत सेवा का अनंत मार्ग अपना लो। सुन्दर, स्नेहशील भारत अपना बना लो। । आर्जित विज्ञान को मानवता की ज्योति बना दो। अपनी ही नहीं, सदा सबकी भी भूख मिटा दो। अपने इस प्रिय भारत को महाबली बना दो। दिव्य लोक की ओर हमेशा अपना कदम बढ़ा दो।। प्रान्त हमारे भिन्न-भिन्न हों। साथ ही, वे अभिन्न भी हो। सब दिलों का रास्ता दिल्ली हों, तो देश सदा एक बना रहेगा। कोई इसको कभी न लूट सकेगा। यह भारत की पुकार है।
नव जीवन की माँग है। सबके सब अपेक्षित यहाँ, कोई नहीं उपेक्षित यहाँ, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, हम सब हैं भारत के ही भाई - भाई। सब कोई भारत-मंदिर के ही, सिंगार हार हैं भाई। यह भारत की पुकार है। नव जीवन की माँग है ॥
© Kushi2212