...

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आगे बढ़ते रहो
चलते रहो तुम बढ़ते रहो,
बाधाओं को तुम पार करते रहो।
जब राह दिखाई न दे तब उसे ढूंढते रहो,
प्रतिकूल परिस्तिथि में राह न छोड़ो चलते रहो।
आगे बढ़ो तुम आगे बढ़ते चलो,
दूर खड़ी मन्ज़िल को निहारते रहो।
चलते रहो तुम बढ़ते रहो,
बाधाओं को तुम पार करते रहो।

मुश्किलें जीना सिखाती,बाधाएं लड़ना सिखाती,
असफलताएं ही तुम्हे सफल बनाती ।
रखो विश्वास तुम अपने आप पर,
दिल मे उम्मीदों के बीज को सींचते रहे।
कर्म का जल बुद्धि की उर्वरता से
विशाल वृक्ष बनने दो
चलते रहो तुम बढ़ते रहो,
बाधाओं को तुम पार करते रहो।
© BALLAL S २३/५/२०२४