...

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❤️कुछ रूमानी हो जाए❤️
तेरी आंखों के जादू की गिरफ़्त में हैं
हम तो जानां,
हैरान न होना गर वक्त ठहरे,
सहर से शाम हो जाए,

कसूर निगाहों का है तुम्हारी और
इकबाले-जुर्म बेशक हमारा,
मगर शर्त है हमारी, उन्हीं निगाहों से फिर
इक जाम हो जाए,

ख़त लिखा है हमने उन्हें और
मसला ए दिल भी है उड़ेला,
पढ़कर मुस्कुरा दो ज़रा साहिबा
कि हमारा काम हो जाए,

ला पिला दे साकी तू हमें कुछ
मोहब्बत के रंग जैसा,
मिले रूतबा, राहे-इश्क में हमारा भी
कुछ नाम हो जाए,

वज़न कर लो हमारे जज्बातों का कि
वक्त बस आज का है,
हमारे बेशकीमती दिल का बेशक
मुंह मांगा दाम हो जाए,

बढ़ कर थाम लो अब तो हाथ मेरा,
ओ हमनफ़स मेरे,
रहमत ए ख़ुदा, रहती दुनिया तक हमारा
किस्सा आम हो जाए!
❤️❤️❤️
— Vijay Kumar
© Truly Chambyal