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ज़िन्दगी जीना सीखा रही थी
एक दिन सपना नींद से टूटा
खुशी का दरवाजा फिर से रूठा
मुड़ कर देखा तो वक्त खड़ा था
जिंदगी और मौत के बीच पड़ा था
दो पल ठहर के मेरे पास वह आया
पूछा मिली थी जो खुशी उसे क्यों ठुकराया
ऐसे में जब मैं हल्का सा मुस्कुराया
नजरें उठाई और तब सवाल ठुकराया
जवाब सुनकर वह भी रोने लगा
कहीं ना कहीं मेरे दर्द में खोने लगा
© Saubhagya Rout
खुशी का दरवाजा फिर से रूठा
मुड़ कर देखा तो वक्त खड़ा था
जिंदगी और मौत के बीच पड़ा था
दो पल ठहर के मेरे पास वह आया
पूछा मिली थी जो खुशी उसे क्यों ठुकराया
ऐसे में जब मैं हल्का सा मुस्कुराया
नजरें उठाई और तब सवाल ठुकराया
जवाब सुनकर वह भी रोने लगा
कहीं ना कहीं मेरे दर्द में खोने लगा
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