!...बदनाम रिंदी...!
अपन शिकारी है सनम, सिगार पियेगा
तेरे बाप का क्या जाता है दिन रात पियेगा
नशे में नशा मिला के जहर पियेगा
देख तेरे शहर में बेनकाब पियेगा
रात है ये रात, डाल दे शराब
झूमेगा ज़माना, मस्तवार पियेगा
रिंदी निकले है...
तेरे बाप का क्या जाता है दिन रात पियेगा
नशे में नशा मिला के जहर पियेगा
देख तेरे शहर में बेनकाब पियेगा
रात है ये रात, डाल दे शराब
झूमेगा ज़माना, मस्तवार पियेगा
रिंदी निकले है...