...

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"रोक-टोक वाली दुनिया"
रोक टोक वाली दुनिया,
आगे बढ़ने नहीं देती..!
भविष्य की तस्वीर,
कभी गढ़ने नहीं देती..!

रंगीन नज़ारे जिन्हें,
नहीं लगते प्यारे..!
पीछे खींचती पैर,
हिम्मत के हिमालय चढ़ने नहीं देती..!

क़ैद रखना चाहती है,
अपने माया के रचे जँजाल में..!
जंजीरों की जद्दोज़हद,
खुले आसमाँ में उड़ने नहीं देती..!

चाहती है अलगाव का भाव,
मन में रहे सभी के..!
द्वेष में रिश्तों की डोर,
किसी से जुड़ने नहीं देती..!
© SHIVA KANT