...

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आसमां।
आज आसमां बहुत चमचमाया है,
शायद अंधेरे ने सितारों को नहलाया हैं।

एक शाम तो बीता अपने ही साथ,
ज़िंदगी ने मेरे कानों में सुझाया हैं।

धूप से जलें दिन के काकुलों को,
रातों ने अपने नग्मों में सुनाया हैं।

मेरी तबियत की बिघड़ती अफवाहों को,
किसी ने दूर दूर तक फैलाया हैं।

रात भी डरती हैं क्या अंधेरे से?
जो उसने चांद का बल्ब जलाया हैं।

किस के दिल से उठी यह आह...?
किस ने मुझे तहे दिल से बुलाया हैं?

रो रही हैं कायनात भी बारीश हो कर,
लगता हैं,उसको भी किसीने सताया हैं।

लोग जो मज़े ले रहे हैं मुझे चिढ़ाकर,
उनको वह एक नाम किसने बताया हैं?

वह एक नाम क्या आया लबों पर,
कंबख्त... फिर से कोई शरमाया हैं।

शराब की तो बात ना कर विसाल !
मैंने तो ज़हर को भी आजमाया हैं।

© वि.र.तारकर.