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प्यार,प्यार बस प्यार।
आज की युवा पीढ़ी,
कि क्या बात करें
बड़े ही दमदारी से,
बात करती है अपने हक का।
माता-पिता जो,
दिन रात मेहनत कर,
अपने बच्चों के,
चाहतों को पूर्ण करने में,
दिन रात एक कर देते।
वे माता पिता
अपने छोटी-छोटी चाहतों को,
ताक पर रखकर,
अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को,
मन ही मन मारकर,
बस दिन रात जुटे रहते,
कि किसी तरह, वो
अपने बच्चों के,
हर सपनों को,
हकीकत में बदल सके।
ठीक इसके विपरीत,
आज की युवा पीढ़ी,
को कहां ख्याल है,
अपने माता-पिता के
उस दर्द का,
जो उन्हें टीसती रहती है।
बदजुबानी करते तो
बिल्कुल कतराते नहीं।
चाहते हैं कि
उनके सारे हक उन्हें मिले।
पर माता-पिता के प्रति,
उनके फर्ज क्या है?
सोचते भी नहीं‌।
क्या युवा पीढ़ी को
नहीं चाहिए, कि
वे अपने माता-पिता
का दर्द समझे।
अगर हक चाहते हैं,
तो फर्ज भी अदा करें।
माता-पिता का सदा सम्मान
एवं आदर करें।
और उन्हें चाहिए क्या?
बस
बच्चों का
प्यार, प्यार बस प्यार।
डॉ अनीता शरण।