...

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उड़ान
चलें हम कभी जब भी ख्वाबों को हक़ीक़त करने की ओर,
हर क़दम पर सबने काटनी चाही हमारी हिम्मत की डोर,

आसमां की उड़ान फिर भी भरने से ना रोक पाया ज़माना,
परीक्षाओं को पार कर हमने सीखा अब तक़दीर सजाना,

कितने कांँटें राहों में कितने ही षडयंत्रों का जाल बिछाया,
पग पग पर हम हुए मजबूत, क़दम फ़िर भी ना डगमगाया,

हौसलों और इरादों को हमने रखा सफलता की ओर ही,
तकलीफ़ सही भले मगर सुनाया हमने परचम का शोर भी।
© khwab