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बचपना
काश मैं छोटी ही छोटी रहती ,
कभी न बड़ी होती, यही तो असली मज़ा है जिंदगी का ।
माता - पिता की गोद में खेलती रहती दिन भर
दादा - दादी जी से कहानियाँ सुनती रहती और
एक दिन खुब मस्ती करते - करते मै बड़ी हो जाती
यही तो बचपना की कहानी है ..................
Aarna Singh
कभी न बड़ी होती, यही तो असली मज़ा है जिंदगी का ।
माता - पिता की गोद में खेलती रहती दिन भर
दादा - दादी जी से कहानियाँ सुनती रहती और
एक दिन खुब मस्ती करते - करते मै बड़ी हो जाती
यही तो बचपना की कहानी है ..................
Aarna Singh
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