...

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देखा है आज ख़ुद को ज़िंदगी से प्यार करते हुए
जिन आँखों से सपने देखे,

उनही आंँखों से देख रही हूंँ उन्हें साकार होते हुए।

देखा है आज ख़ुद को,

ज़िंदगी से प्यार करते हुए।


मैं लिखती रहूँ,

तुम पढ़ते जाओ,

अन्देखा सा कोई करार होते हुए,

देखा है आज ख़ुद को ज़िंदगी से प्यार करते हुए।


मेरे भी पाठक होंगे,

जो मुझको सराहेंगे,

कभी रचनात्मक

आलोकचक भी होंगे,

ख़ुशी से भी ज़्यादा ख़ुश हूँ में ये इकरार करते हुए,

देखा है आज ख़ुद को ज़िंदगी से प्यार करते हुए।


अगर लेखनी मेरी ,किसी की सोच को नई दिशा देगी,

तू मुझे भी बहुत सारी प्रेरणा देगी,

देखती हूँ ख़ुद को और भी

प्रेरणादायक होते हुए,

देखा है आज ख़ुद को ज़िंदगी से प्यार करते हुए।
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© Haniya kaur