एहसास
सिकंदर भी देखा, यहाँ कलंदर भी देखा।
काया ने चारों तरफ,बहता हुआ समंदर भी देखा।।
कलाकारी दुनिया में किसी की चलती नही है।
माया की नगरी में इंसा को,नाचता बंदर ही देखा।।
काया ने चारों तरफ,बहता हुआ समंदर भी देखा।।
कलाकारी दुनिया में किसी की चलती नही है।
माया की नगरी में इंसा को,नाचता बंदर ही देखा।।
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