दुनिया
दुनिया का दस्तूर है
आजकल लोग खुद में मगरूर है
एक दूजे के बिना आजकल
लोग खुद से ही दूर है
बदलते ज़माने में
अब किसका कसूर है
कहना बड़ा ही मुश्किल है
शायद जिंदगी जीने का यही फितूर है
सुकून
आजकल लोग खुद में मगरूर है
एक दूजे के बिना आजकल
लोग खुद से ही दूर है
बदलते ज़माने में
अब किसका कसूर है
कहना बड़ा ही मुश्किल है
शायद जिंदगी जीने का यही फितूर है
सुकून