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ग़ज़ल :122/122/122/122
122 122 122 122
हमारी तुम्हारी मुलाक़ात होगी,
सितारों भरी चाँदनी रात होगी।
अगर देख लब कुछ नहीं बोल पाए,
निगाहों निगाहों में सब बात होगी।
मुझे देख कर मुस्कुराएगी जब वो,
बहुत क़ीमती फिर ये सौग़ात होगी।
ये अरमान दिल में सुलगते रहेंगें,
मुहब्बत भरी कब वो बरसात होगी।
ये रस्मों रिवाजों से बिल्कुल अलग सी,
नई ज़िंदगी की शुरूआत होगी।
हमारी तुम्हारी मुलाक़ात होगी,
सितारों भरी चाँदनी रात होगी।
अगर देख लब कुछ नहीं बोल पाए,
निगाहों निगाहों में सब बात होगी।
मुझे देख कर मुस्कुराएगी जब वो,
बहुत क़ीमती फिर ये सौग़ात होगी।
ये अरमान दिल में सुलगते रहेंगें,
मुहब्बत भरी कब वो बरसात होगी।
ये रस्मों रिवाजों से बिल्कुल अलग सी,
नई ज़िंदगी की शुरूआत होगी।
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