...

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पेहेचान बनाये !
उस नाम और शोरत को सलाम,
जो भने नारी कि मान !
जो खुद की माँ को नॉ देसके सम्मान,
उस्से कियु साझे/ बादे ग्यान !

नाँ सभी पुरुष दुस्मन हमरे,
जब नागिन भसे है जुन्दु मे हमरे !
अवो चलो हुम सव्दान भर्ते,
जो अप्नि अस्लि चेहेर हुम्से चुपाये !

अवो चलो हुम एक जुद हो जाये,
रुकवत कि दीवरो को एक एक थोदे जये !
वक्तु जित्ना अन्मौल है,
उत्निहि अन्मौल हमरि पेहेचान है !

अवो चले हम अप्नि पेहेचान बनाये,
हम किसि से कम नहिँ ये दिखये जाये !
उस नाम और शोरत को सलाम,
जो भने नारी कि मान !